'ओशोवाणी'

'तुम अलग नहीं हो'


किसी को भी दुखी करके देखो, तुम दुखी हो ही जाओगेऔर इससे उलटा भी सही है। तुम किसी को सुखी करके देखो और तुम पाओगे कि सुख न न कितने रूपों में तुम्हारे हृदय में भी गूंजरित हो उठा है। और तुम किसी के रास्ते से एक छोटा सा कांटा भी हटाओ, तो तुम्हारे अपने रास्ते से अनेक काटे हट जाते हैं। और तुम किसी के रास्ते पर एक छोटा सा फूल भी रखो, तो तुम्हारे रास्ते पर फूल की शय्या बिछ जाती है। क्योंकि तुम जो भी कर रहे हो, उसकी अनंत गज चारों ओर हो जाती है। और इसीलिए हो जाती है अनंत तक उसकी गंज, क्योंकि तुम जुड़ेहो, संयुक्त हो। एक छोटा सा भी विचार तुम्हारे भीतर पैदा होता है, तो सारा अस्तित्व उसे सुनता है। और थोड़ा सा भाव भी तुम्हारे हृदय में उठता है, तो सारे अस्तित्व में उसकी झंकार सुनी जाती है। और ऐसा ही नहीं है कि आज ही, अनंत काल तक वह झंकार सुनी जाएगी। तुम्हारा यह रूप खो जाएगा, तुम्हारा यह शरीर गिर जाएगा, तुम्हारा यह नाम मिट जाएगा, तुम्हारा कोई नामो निशान भी पता लगाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन तुमने जो चाहा था, तुमने जो किया था, तुमने जो बनाई थी, वह सब इस अस्तित्व में गूंजती रहेगी। क्योंकि तुम यहां से भले ही मिट जाओ, तुम कहीं और प्रकट हो जाओगेऔर तुम यहां से खो जाओगे, लेकिन किसी और जगह तुम्हारा बीज पुनः अंकुरित हो जाएगा। हम जो भी कर रहे हैं, वह खोता नहीं। और हम जो भी हैं, वह भी खोता नहीं। क्योंकि हम एक विराट के हिस्से हैं। लहर मिट जाती है, सागर बना रहता है। और वह जो लहर मिट गई है, उसका जल भी उस सागर में शेष रह गया है। इसे बहुत तरह से समझ लेना जरूरी है। क्योंकि इसका व्यापक परिणाम तुम्हारे जीवन, तुम्हारे आचरण, तुम्हारे भविष्य पर होगा। अगर यह बात ठीक से खयाल में आ जाए तो तुम दूसरे ही आदमी हो जाओ। एक ढंग की जिंदगी तुमने बनाई है, उस जिंदगी का मूल आधार यह है कि मैं अलग हूं। और इसीलिए आदमी इतना चिंतित और दुखी और परेशान है। क्योंकि तुम अलग हो नहीं, तुम्हारे अलग होने की सब कोशिश निष्फल जाती है, आखिर में तुम पाते हो कि विफल हो गए।