ध्यान से स्वास्थ्य का संबंध
एक मित्र ने पूछा है कि ध्यान से स्वास्थ्य का क्या संबंध है? बहुत संबंध है। क्योंकि बीमारी का बहुत बड़ा हिस्सा मन से मिलता है। गहरे में तो बीमारी का नब्बे प्रतिशत हिस्सा मन से ही आता है। ध्यान मन को स्वस्थ करता है। इसलिए बीमारी की बहुत बुनियादी वजह गिर जाती है।
यह जो ध्यान की प्रक्रिया है, इससे शरीर पर सीधा भी प्रभाव होता है। क्योंकि दस मिनट की तीव्र श्वास, आपकी जीवन ऊर्जा को, वाइटल एनर्जी को बढ़ाती है। सारा जीवन श्वास का खेल है। जीवन का सारा अस्तित्व श्वास पर निर्भर है। श्वास है तो जीवन है।
हम जिस भांति श्वास लेते हैं, वह पर्याप्त नहीं है। हमारे फेफड़े में, समझें, अंदाजन कोई छह हजार छिद्र हैं। हम जो श्वास लेते हैं वह दो हजार छिद्रों से ज्यादा छिद्रों तक नहीं पहुंचती। बाकी चार हजार छिद्र, दो तिहाई फेफड़े सदा ही कार्बन डाइआक्साइड से भरे रह जाते हैं। वह जो चार हजार छिद्रों में भरा हुआ कार्बन डाइआक्साइड है, वह हमारे शरीर की सैकड़ों बीमारियों के लिए कारण बनता है। वह कार्बन डाइआक्साइड समझें कि आपके भीतर जड़ है, जहां से सभी कुछ गलत निकल सकता है। दस मिनट की भस्त्रिका, तीव्र श्वास, धीरे-धीरे आपके छह हजार छिद्रों को छूने लगती है, स्पर्श करने लगती है। आपके पूरे फेफड़े शुद्धतम प्राण से भर जाते हैं। इसका परिणाम होगा, गहरा परिणाम शरीर पर होगा।
दूसरे चरण का जो ध्यान का हिस्सा है, वह कैथार्सिस का है, रेचन का है। आपको शायद पता न हो, जो लोग ध्यान से बिलकुल भी संबंधित नहीं हैं, वे लोग भी बीमारियों को अलग करने के लिए कैथार्सिस को अनिवार्य मानते हैं। आज अमेरिका में कोई दस लैब, दस बड़ी प्रयोगशालाएं हैं, जो सिर्फ कैथार्सिस से सैकड़ों तरह की बीमारियां ठीक करने में सफल हुई हैं। इसालेन में, कैलिफोर्निया में एक बड़ी प्रयोगशाला है, जहां वे पंद्रह दिन व्यक्ति को कैथार्सिस से गुजारते हैं। उसे लड़ना है, चीखना है, चिल्लाना है, तो उस सबका उपाय जुटाते हैं। उपाय ऐसा कि जो किसी के लिए वायलेंट न हो जाए। अगर उसे मारना है तो उसके लिए तकिए दे देते हैं कि वह तकिए पर मारे, चोट करे। चिल्लाना है तो एकांत में चिल्लाए, कूदे, फांदें। पंद्रह दिन में बड़ी से बड़ी बीमारियों पर परिणाम होता है। बड़ी से बड़ी बीमारियां गिर जाती हैं...।