अगर आशीर्वादों से सुख आता होता तो एक आदमी सभी को सुखी कर देताए क्योंकि आशीर्वाद देने में क्या कंजूसी इतना आसान नहीं है तुमने दुःख बोया है मेरे आशीर्वाद से कैसे कटेगा तुम मुझसे समझ लो आशीर्वाद मत मांगोए क्योंकि आशीर्वाद तो बेईमानी का ढंग है दुःख तुमने दिया है न मालूम कितने लोगों को तुमने दुःख बोया हैए सब तरफए अब तुम उसकी फसल काटने के वक़्त आशीर्वाद मांगने आ गए और तुम्हारे ढंग से ऐसा लगता है की जैसे अगर तुम्हे दुःख मिल रहा है तो मै आशीर्वाद नहीं दे रहा हु इसलिये दुःख मिल रहा है किसी के आशीर्वाद से तुम्हारा दुःख न कटेगा किसी के आशीर्वाद से तुम्हारी समझ बढ़ जाये तो काफी किसी के आशीर्वाद से तुम में प्रेम का बीज आ जाये तो काफी पाप तो प्रेम से कटेगा और दुःख तो तुम जब दूसरों के लिए सुख बोने लगोगे तब कटेगा।
ओशोवाणी