जाग्रतपुरुष

जाग्रतपुरुष मिल जाए तो उसको चूकना मत


जब तुम्हें कभी कोई जीवित जाग्रतपुरुष मिल जाए तो डूब जाना उसके संघ में। ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं पृथ्वी पर, कभी-कभी आते हैं, उसको चूकना मत। उसको चूके तो बहुत पछताना होता है। और फिर पछताने से भी कुछ होता नहीं। फिर पछताए होत का, जब चिड़िया चुग गयी खेत। फिर सदियों तक लोग रोते हैं। कई दफे तुम्हारे मन में भी आता होगा काश, हम भी बुद्ध के समय में होते! काश, हम भी महावीर के साथ चले होते उनके पदचिह्नों पर! काश, हमने भी जीसस को भर आंख देखा होता! या काश, मोहम्मद के वचन सुने होते! कि कृष्ण के आसपास हम भी नाचे होते उस मधुर बासुरी को सुनकर! यह पछतावा है। तुम भी मौजूद थे, तुम जरूर मौजूद थे, क्योंकि तुम बड़े प्राचीन हो। तुम उतने ही प्राचीन हो जितना प्राचीन यह अस्तित्व है तुम सदा से यहां रहे हो। तुमने न मालूम कितने बुद्धपुरुषों को अपने पास से गुजरते देखा होगा, लेकिन देख नहीं पाए। फिर पछताने से कुछ भी नहीं होता। जो गया, गया। जो बीता, सो बीता। अभी खोजो कि यह क्षण न बीत जाए। इस क्षण का उपयोग कर लो। इसलिए बुद्ध बार-बार कहते हैं, एक पल भी सोए-सोए मत बिताओ। जागो, खोजो। अगर प्यास है, तो जल भी मिल ही जाएगा। अगर जिज्ञासा है, तो गुरु भी मिल ही जाएगा। अगर खोजा, तो खोज व्यर्थ नहीं जाती। परमात्मा की तरफ उठाया कोई भी कदम कभी व्यर्थ नहीं जाता है।