अपूर्व सूत्र

यह अपूर्व सूत्र है


अगर तुम निश्चिंत होना चाहो, तो छोटा-सा काम है बसय जरा-सी तरकीब है जरा-सी कला है। और कला यह है- अपने को हटा लो और परमात्मा को करने दे जो कराए। कराए तो ठीक, न कराए तो ठीक। पहुंचाए कहीं तो ठीक, न पहुंचाए तो ठीक। तुम सारी चिंता उस पर छोड़ दो। जिस पर इतना विराट जीवन ठहरा हुआ है, चांदत्तारे चलते हैं, ऋतुएं घूमती हैं, सूरज निकलता है, डूबता है इतना विराट जीवन का सागर, इतनी लहर जो सम्हालना है, तुम्हारी भी छोटी लहर सम्हाल लेगा। तुम अपनी लहर को अपना अहंकार मत बनाओ। तुम अपनी लहर को उसके हाथ में समर्पित कर दो।