ईश्वर कोई बाह्य सत्य नहीं हैं।

सत्य की खोज में स्वयं को बदलना होगा


वह खोज कम,आत्मपरिवर्तन ही ज्यादा हैं


जो उसके लिए पूर्णरूपेण तैयार हो जाते हैं, सत्य स्वयं


उन्हें खोजता आ जाता है।


रोज ऐसे लोगो को जानने का मुझे अवसर मिल जाता हैं,


जो स्वयं को बदले बिना ईश्वर को पाना चाहता हैं।


ऐसा होना बिलकल असम्भव हैं


ईश्वर कोई बाह्य सत्य नहीं हैं।


वह तो स्वयं के परिष्कार की अंतिम चेतन अवस्था हैं।


उसे पाने का अर्थ स्वयं वही हो


जाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं हैं।