ओशोवाणी

उस दिन से आपका जन्म शुरू हुआ जिस दिन से यह जिंदगी व्यर्थ दिखाई पड़नी शुरू हो जाए, उस दिन मैं कहूंगा आपकी असली जिंदगी शुरू हुई। आपका असली जन्म शुरू हुआ। और इस तरह के आदमी को ही द्विज, ट्वाइस बॉर्न। जनेऊ डालने वाले को नहीं। क्योंकि जनेऊ तो किसी को भी डाला जा सकता है।
द्विज हम कहते रहे हैं उस आदमी को जो इस दूसरी जिंदगी में प्रवेश कर जाता है। एक जन्म है जो मां-बाप से मिलता है वह शरीर का ही हो सकता है। कि और जन्म है जो स्वयं की खोज से मिलता है वही जीवन की शुरुआत है। इस जन्मदिन पर, मेरे तो नहीं कह सकता। क्योंकि मैं तो जीसस, बुद्ध और लाओत्से से राजी हूं। लेकिन इस जन्मदिन पर जो कि अ, ब, स, द किसी का भी हो सकता है। आपसे इतना ही कहना चाहता हूं कि एक और सत्य भी है। उसे खोजें। एक और जीवन भी है यहीं पास, जरा मुड़ें तो शायद मिल जाए। बस किनारे पर, कोने पर ही। और जब तक वह जीवन न मिल जाए, तब तक जन्मदिन मत मनाएं। तब तक सोचें मत जन्म की बात। क्योंकि जिसको आप जन्म कह रहे हैं, वह सिर्फ मृत्यु का छिपा हुआ चेहरा है। हां, जिस दिन जिसको मैं जन्म कह रहा हूं, उसकी आपको झलक मिल जाए, उस दिन मनाएं। उस दिन फिर प्रतिपल जन्म है, क्योंकि उसके बाद फिर जीवन ही जीवन हैदृशाश्वत, अनंतय फिर उसका कोई अंत नहीं है। ऐसे जन्म की यात्रा पर आप निकलें, ऐसी परमात्मा से प्रार्थना।