अपेक्षा दुःख का कारण

अपेक्षा दुःख का कारण


​”रास्ते पर चलते तुम्हारा रूमाल गिर जाए और कोई अजनबी उठा कर तुम्हे देदे तो तुम उसे धन्यवाद देते हो क्यूंकि तुम्हारी उस अजनबी से कोई अपेक्षा नहीं थी। अगर वही रूमाल तुम्हारी पत्नी उठाकर तुम्हे दे, तो तुम धन्यवाद भी नहीं देते, क्यूंकि तुम्हारी अपेक्षा थी की पत्नी उठाकर देगी ही इसके विपरीत अगर पत्नी रूमाल उठाकर ना दे तो तुम क्रोधित तक हो सकते हो ‘अपेक्षा दुःख है’ त्याग का अर्थ पत्नी का त्याग नहीं, बच्चों का त्याग नहीं, घर-बार का त्याग नहीं .असली त्याग है ‘अपेक्षा का त्याग’ जिसने किसी दुसरे से सुख की अपेक्षा का त्याग कर दिया उसे फिर कोई दुखी नहीं कर सकता!”